लोगों को कानूनी अधिकार बता रहा ”विधिक सेवा सप्ताह”

गोरखपुर। विधिक सेवा दिवस के अवसर पर 9 नवम्बर से 18 नवम्बर तक चलाये जा रहे विधिक सेवा सप्ताह में तहसीलों, विधिक सेवा समितियों, जिला कारागार, लीगल एड क्लीनिक आदि पर आयोजनों का दौर शुरू है। लोगों को कानून की जानकारियां दी जा रही हैं।
गोरखपुर के जंगल कौड़िया, पीपीगंज आदि क्षेत्रों के विभिन्न विधिक सेवा कार्यक्रमों में लोगों में शामिल होने का सिलसिला जारी है। जनपद न्यायाधीश मुकेश प्रकाश द्वारा झंडी दिखाने के बाद सेन्ट एण्ड्रयूज कालेज परिसर से गुरुवार को विधि छात्र-छात्राओं ने रैली निकाली तो महानगर क्षेत्र के विभिन्न मुहल्लों में घूमते हुए छात्र-छात्राओं ने लोगों को कानूनी जानकारी देने में भी पीछे नहीं रहे। अम्बेडकर चौराहा होते हुए चेतना तिराहा तक रास्ते में मिलने वालों और सड़क के किनारे दुकान जमाए लोगों में पर्चे बांटे।
शुक्रवार को भी यह सिलसिला जारी है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोरखपुर द्वारा नियुक्त पराविधिक स्वयंसेवकों के पैनल में अधिवक्ता डोर टू डोर जा रहे हैं। लोगों को विधिक सम्बंधी जानकारी दे रहे हैं।
यह दी जा रही जानकारी
विधिक सेवा सप्ताह को सफल बनाने में जुटे प्राथमिक रूप से राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण, जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, तालुक कानूनी सेवा समितियों द्वारा लोगों को कानूनी जानकारियां दी जा रही हैं। इनमें योग्य व्यक्तियों को मुफ्त एवं समर्थ कानूनी सेवा प्रदान होने, विवादों के सौहार्दपूर्ण हल के लिए लोक अदालतों का सहारा लेने और ग्रामीण क्षेत्रों में कानूनी जागरुकता शिविरों के माध्यम से मिलने वाली जानकारियों को आत्मसात करने को प्रेरित किया जा रहा है।
यह भी जानें
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों ने 19-20 मार्च, 2011 को भुवनेश्वर में बैठक में इन गतिविधयों को देश में लागू करने का निर्णय लिया था। फिर, वित्तीय वर्ष 2011-2012 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की अपनी कार्य योजना तथा कैलेंडर तैयार की गई।
यह है राष्ट्रीय कार्य योजना का मुख्य बिंदु
-मुफ्त, समर्थ, प्रभावी तथा समग्र कानूनी सेवा उपलब्ध कराना।
-महिलाओं पर केंद्रित कानूनी सेवा।
-बच्चों का कानूनी अधिकार-उनके लिए कानूनी सेवाएं बढ़ाना।
-कानूनी सेवाओं में अर्द्ध कानूनी स्वयंसेवकों की भूमिका मजबूत करना।
-गांवों में कम खर्च लेकिन प्रभावी तरीके से कानूनी सहायता क्लीनिकों की स्थापना।
-असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए कानूनी सेवाएं।
-पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सामाजिक न्याय वाद का मार्ग प्रशस्त करना।
-एसएलएसए के सदस्य सचिवों एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देना।
-विश्वविद्यालयों, विधि महाविद्यालयों एवं अन्य संस्थाओं में कानूनी सहायता क्लीनिकों की स्थापना।
-स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए कानूनी साक्षरता तथा कानूनी साक्षरता क्लब एवं कानूनी जागरुकता शिविरों का आयोजन।
-संविधान के भाग चार ए के प्रति कटिबद्धता सुनिश्चित करना।
-एनएलएसए की वेबसाईट का उपयोग तथा उसकी वेब आधारित निगरानी प्रणाली।
-कानूनी सेवाएं गतिविधियों का सामाजिक लेखा परीक्षण।
-कानूनी सेवा कार्यक्रमों के संवेदीकरण के लिए न्यायिक अकादमी।
क्या आप यह जानते हैं
-पहली अप्रैल 2011 से 30 सितंबर 2011 के दौरान 6.95 लाख लोग कानूनी सेवा सहायता से लाभान्वित हुए।
-25.1 हजार अनुसूचित जाति, 11.5 हजार अनुसूचित जनजाति, 24.6 हजार महिलाओं तथा 1.6 लाख बच्चों को इसका लाभ मिला।
-53,508 लोक अदालतें लगीं। 13.75 लाख मामलों का निस्तारण हुआ।
-39.9 हजार मोटर वाहन दुर्घटना दावों के संदर्भ में 420.12 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि का फैसला हुआ।