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BSP : तैयार हो रही है कांग्रेस और बसपा गठबंधन की स्क्रिप्ट!

  • बसपा चाणक्य सतीश चंद्र मिश्र की नई मुहिम
  • 1996 में विधान सभा चुनाव के लिए हो चुका है कांग्रेस-बसपा का गठबंधन
  • दोनों पार्टियों शीर्ष स्तर के नेता कर रहे हैं मंथन
  • अगस्त माह के बाद ऐलान की संभावना

अभय राज

BSP : लखनऊ। राजनीतिक जीवन के सबसे नाजुक दौर से गुजर रही बसपा भले ही आगामी लोकसभा चुनाव में एकल चलो यानी चुनाव से पूर्व गठबंधन न करने का ऐलान कर दिया हो लेकिन यूपी में (Congress) कांग्रेस और बसपा (BSP) के चुनावी गठबंधन की खिचड़ी पक रही है। इस खिचड़ी को पकाने और गठबंधन की स्क्रिप्ट में बसपा के चाणक्य की अहम भूमिका है। पर्दे के पीछे कांग्रेस और बसपा का शीर्ष नेतृत्व मंथन कर रहा है। इसके संकेत 23 जून को बिहार में विपक्षी दलों की होने वाली बैठक में बसपा के शामिल से मिलेंगे।

उल्लेखनीय है कि 2007 के बाद से हुए विधानसभाओं और लोकसभा के चुनावों में बसपा का प्रदर्शन निरंतर गिरता गया। साथ ही बसपा की हर चुनावी सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर भी पानी फिरता रहा है। 2019 में हुए लोकसभा के चुनाव में धुर-विरोधी (Samajwadi Party) सपा और बसपा का गठबंधन हुआ था। इस गठबंधन से बसपा को फायदा हुआ, 10 सीटें जीती और सपा 5 सीटें। इसके बाद बसपा सुप्रीमो (Mayawati) मायावती ने सपा पर कई आरोप लगाते हुए गठबंधन तोड़ दिया था। जबकि (BSP) बसपा 1989 में 1, 1986 में 6, 1998 में 4, 1999 में 14, 2009 में 20, 2014 में 0 सीटें जीती थीं। जबकि 2022 के विधान सभा चुनाव में बसपा को करारी शिकस्त लगी, मात्र 1 सीट जीत पाई थी। 2022 में हुए नगर निकाय चुनाव में बसपा का परिणाम बहुत ही निराशाजनक रहा है। अपने दो मेयर की सीटें भी नहीं जिता पाई।

BSP
Congress and BSP

बसपा सूत्रों के मुताबिक बसपा के चाणक्य सतीश (Satish Chandra Mishra) चंद्र मिश्र भले बसपा की सक्रिय राजनीति में सामने काम करते नजर नहीं आ रहे हैं, लेकिन पर्दे के पीछे आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति के लिए तैयारी शुरू कर दी हैं। मंथन हो रहा है बसपा चुनाव पूर्व बगैर गठबंधन के मैदान में उतरे या फिर किसी राजनीतिक दल से गठबंधन करे। 2019 में बसपा का सपा के साथ गठबंधन हो चुका है। अब सपा से गठबंधन की गुंजाइश नहीं बची है। भाजपा से चुनाव पूर्व गठबंधन करना, बसपा के लिए आत्मघाती होगा। अब सिर्फ बसपा के पास गठबंधन के तौर पर कांग्रेस का विकल्प बचा है। या फिर अकेले ही बसपा चुनावी मैदान में उतरे। अगर अकेले चुनावी मैदान में उतरी है तो बसपा को कोई फायदा नहीं मिलने की उम्मीद है।

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BSP
Satish Chandra Mishra

बसपा के चाणक्य ने बसपा सुप्रीमो मायावती को सुझाव दिया है कि कांग्रेस से गठबंधन करने से कई फायदे होंगे। कर्नाटक राज्य में कांग्रेस की वापसी होने से कद बढ़ा है। इससे संकेत मिलते हैं कि कांग्रेस की वापसी होगी। अगर गठबंधन होता है तो राष्ट्रीय क्षितिज पर बसपा का कद बढ़ेगा। इसकी घोषणा अगस्त माह के बाद होने की संभावना है कि अगर (BSP) बसपा अभी से कांग्रेस में जाने की घोषणा करती है तो केन्द्र सरकार की एजेंसियां सक्रिय हो जाएंगी और गठबंधन न होने देने के लिए साम, दाम, दण्ड और भेद का सहारा लेंगी।
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक योगेश श्रीवस्तव का कहना है कि बसपा 1996 में कांग्रेस से विधान सभा चुनाव के लिए गठबंधन कर चुकी है। उस समय यह गठबंधन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी.वी. नरसि हा राव और भारत के (Prime Minister) प्रधानमंत्री के प्रयासों से हुआ था। इस गठबंधन में बसपा को बहुत ही लाभ हुआ था। बसपा 300 सीटों पर लड़ी थी और 67 सीटें जीती थी। कांग्रेस 125 सीटों पर लड़ी थी और 33 सीटें जीती थी। अगर आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा का गठबंधन होता है तो दोनों पार्टिंयां फायदे में रहने की उम्मीद है।


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