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पूर्व आईएएस फतेह बहादुर ने मायावती पर साधा निशाना

सामाजिक संस्था बहुजन भारत की बैठक में लोगों ने कहा मायावती को लोकतंत्र और संविधान की चिंता छोड़ अपनी जान की फिक्र

Mayawati: लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) के खास रहे आईएएस और सामाजिक संगठन बहुजन भारत के अध्यक्ष कुंवर फतेह बहादुर ने उन पर निशाना साधते हुए कहा है कि बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) का यह बयान कि सपा शासनकाल के दौरान उनके कार्यालय के सामने बनाये गए ओवरब्रिज के कारण उनकी जान को खतरा है, उनका ये बयान काफी हास्यास्पद और खेदजनक प्रतीत होता है। संस्था के अध्यक्ष ने कहा कि सपा सरकार के दौरान वर्ष 2014 में ये ओवरब्रिज बना था, लेकिन उसके निर्माण के बाद से अभीतक उन्होंने इस पुल के निर्माण को लेकर अपनी जान के खतरे की किसी भी तरह की कोई आशंका नहीं जताई थी और अगर उन्हें ये लग रहा था कि सपा के शासनकाल में जो ओवरब्रिज बनवाया गया है उससे उनकी जान को खतरा बढ़ गया है तो ऐसे में उन्होंने वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव क्यों लड़ा। अगर उन्हें इस पुल की वजह से किसी भी तरह का कोई खतरा था या है तो उन्हें इस मामले में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से शिकायत करनी चाहिए थी अथवा कोर्ट जाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने क्यों नहीं किया।

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कुंवर फ़तेह बहादुर ने कहा कि कोई भी सरकार ओवरब्रिज या पुल का निर्माण विकास के लिए और जनता की जरूरतों के लिए करती है, बसपा प्रमुख का यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण है और वे इस तरह का बयान देकर खुद को उपहास का पात्र बना रहीं हैं और अपने नेतृत्व में चल रही बसपा व पार्टी समर्थकों की भी स्थिति काफी हास्यास्पद बना दी है। उन्होंने कहा कि देश में लोकसभा के चुनाव सन्निकट हैं और ये चुनाव लोकतंत्र का भविष्य तय करेगा और साथ ही इस चुनाव में अगर भाजपा फिर से जीतकर केंद्र में सरकार बनाने में सफल हो जाति है तो इस बात की भी आशंका बढ़ जाएगी कि देश में भारतीय संविधान अपने वर्तमान स्वरुप में रहेगा या नहीं।

इन सामाजिक चिंताओं से दूर मायावती (Mayawati) जी को वर्ष 2014 में सपा शासन में बनाये गए ओवरब्रिज से अब अपनी जान को खतरे की आशंका है। संस्था के महासचिव चिंतामणि ने कहा कि बहुजन समाज के लोग परेशान हैं और उनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है, ऐसे में बसपा नेतृत्व को इन वर्गों की अगुवाई करके इन्हें न्याय दिलाने के लिए आगे आना चाहिए। इस मौके पर संस्था के उपाध्यक्ष नन्द किशोर, नवल किशोर, संयुक्त सचिव रामकुमार गौतम, आरआर जैसवार (एडवोकेट) आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।


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